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- सिस्टमैटिक रिस्क
- अनसिस्टमैटिक रिस्क
सिस्टमैटिक रिस्क :
ए रिस्क मे कंपनी मे होने वाले बदलाव जेसेकी कमाई का कम होना ,मार्जिन मे कमी ,संसालकों की गल्तिया,कंपनी का भविष्य खराब होना,कंपनी का कोय स्ट्रॉंग प्रतयोगी की वजह से स्टॉक की कीमतों मे गिरावट आती हे । यदि पूरा बाजार ही गिर रहा हे जीडीपी मे गिरावट ,भु राजनैतिक रिस्क ,इन्फ्लैशन ,इंटर्स रेट की ओर किसीभी कारण से मार्केट मे गिरवट आती हे तो ओ सिस्टमैटिक रिस्क को गिर सकती हे।
अनसिस्टमैटिक रिस्क :
ए रिस्क मे कंपनी मे होने वाली उंडरूनी दिकतों वजह से स्टॉक की कीमतों मे गिरावट आती हे । यदि कंपनी मे हो रही किसी खास घटना की वजह से स्टॉक की कीमतों मे गिरावट आती हे तो उस की वजह से जो भी नुकशान होगा उसे अनसिस्टमैटिक रिस्क केहते हे । तब बाजार के किसी इंडेक्स मे या फिर दूसरे स्टॉक मे याफिर किसी सेक्टर के स्टॉक मे गिरावट नहीं आएगी क्यूकी कंपनी मे हो रही किसी खास घटना की वजह से स्टॉक की कीमतों मे गिरावट अए रही हे जिससे दूसरे स्टॉक पर उसकी असर नहीं होती।
आप बोलएगे की हमे उस से क्या मतलब की किस प्रकार का रिस्क हे हमे तो किसीभी तरह से रिस्क हे हम उसे केसे कम करे तो उस के लिए डायवर्सीफिकेशन (diversification) करना पड़ेगा ।
एक कंपनी मे सारे पैसे लगा देनी की बजाई हम अलग-अलग कंपनी मे पैसा लगा सकते हे ताकि रिस्क का हम डायवर्सीफिकेशन कर सके ।
आपने कहावत तो सुनी होगी की सारे अंडे एक बासकिट मे ना रखे क्यूकी अगर बासकिट गिर तो सारे अंडे टूट जाएंगे ए कहावत यही भी लागू होती के की सारे पैसे एक ही स्टॉक मे नहीं डालना चाइए ।
एक उदारण से समजते हे pcj 600 का हई लगाया ओर गिरना चालू हुआ आज 27 पे चल रहा हे। अगर सारे पैसे एक ही स्टॉक मे डाला होता तो सारे पैसे डूब जाते इस लिए डायवर्सीफिकेशन बहुत जरूरी हे ।
अब सवाल ए उठता हे की हम कितने अलग-अलग स्टॉक मे पैसा लगाई उसके लिए नीचे दिए गए चार्ट को समजे ।
आप चार्ट मे देख सकते हे की जीतने -जीतने स्टॉक की संख्या बढ़ती जा रही हे उस तरह रिस्क कम हो रहा हे।
मेरा कहने का मतलब की सारे पैसे 1 स्टॉक मे मत डालो ज्यादा स्टॉक मे डालो ताकि अनसिस्टमैटिक रिस्क से बच सके। उसका ए मतलब नहीं की 20-40 अलग-अलग स्टॉक मे पैसा डालना हे क्यूकी 15 से जीतने ज्यादा स्टॉक हे उसमे तो सिस्टमैटिक रिस्क रहेगा ही हमे कंपनी मे हो रही किसी खास घटना की वजह से स्टॉक की कीमतों मे गिरावट आती हे तो उस की वजह से जो भी नुकशान होता हे उस से बचा जाए । जब pcj मे गिरावट आए तब उसका बाजार पर कोई असर नहीं हुआ ।
यदि पूरा बाजार ही गिर रहा हे जीडीपी मे गिरावट ,भु राजनैतिक रिस्क ,इन्फ्लैशन ,इंटर्स रेट की ओर किसीभी कारण से मार्केट मे गिरवट आती हे तो ओ सिस्टमैटिक रिस्क भी बढ़ सकता है ।
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